Jawaharlal Nehru University (JNU) की कुलपति Santishree Dhulipudi Pandit एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार कारण है उनकी Education Ministry द्वारा आयोजित एक अहम सम्मेलन से गैरहाजिरी, जिसके लिए उनसे मंत्रालय ने लिखित स्पष्टीकरण मांगा है।
क्या है मामला?
शिक्षा मंत्रालय ने 10–11 जुलाई को गुजरात के केवड़िया में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का एक दो-दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया था। इस सम्मेलन का उद्देश्य था राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के पांच वर्षों की समीक्षा और आगे की रणनीतियों पर चर्चा करना। लेकिन, JNU VC Santishree Dhulipudi Pandit इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुईं—और वह भी बिना मंत्रालय की पूर्व स्वीकृति के।
सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय को यह बात खटकी कि एक ऐसी वरिष्ठ पदाधिकारी ने, जिन्हें पहले से आमंत्रण भेजा गया था, बिना किसी सूचना के सम्मेलन में भाग नहीं लिया। इसके चलते अब उनसे औपचारिक स्पष्टीकरण मांगा गया है।
विरोधाभासी कार्यक्रमों का हवाला
JNU की ओर से यह बताया गया कि उन्हीं तारीखों (10–12 जुलाई) को विश्वविद्यालय में Indian Knowledge Systems (IKS) पर एक तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित था, जिसका उद्घाटन पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया। लेकिन मंत्रालय का कहना है कि Pandit को कम से कम दूसरे दिन केवड़िया सम्मेलन में उपस्थित रहना चाहिए था, क्योंकि मंत्रालय की बैठक पहले से तय और अति-महत्वपूर्ण थी।
मंत्रालय का सख्त रुख
शिक्षा मंत्रालय ने इस अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया है और दोहराया है कि इस स्तर पर कार्यरत कुलपतियों को, यदि किसी केंद्रीय आयोजन में अनुपस्थित रहना हो, तो पूर्वानुमति लेना अनिवार्य है।
अभी तक नहीं आया कोई जवाब
Santishree Dhulipudi Pandit की ओर से इस पूरे मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे JNU और मंत्रालय के बीच संवाद किस दिशा में जाता है।
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डिस्क्लेमर (Disclaimer):
यह लेख केवल सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई किसी भी जानकारी को आधिकारिक बयान या कानूनी सलाह के रूप में न लें। सभी तथ्य सार्वजनिक स्रोतों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं।